Dil Jo na kah saka song lyrics in hindi 1965 movie Beegi Raat

Dil Jo na kah saka song lyrics in hindi 1965 movie Beegi Raat 

Dil jo kah na saka wahi kahne ki raat aai फिल्म "भीगी रात" का song lyrics hindi जिसका प्रदर्शन 1965 में हुआ। प्रस्तुत हैं इसके old classic song lyrics hindi me दिल ए राज कहने की रात आई दिल जो कह न सका।  

1965 Movie Bheegi Raat song Dil jo kah na saka lyrics in hindi

  • गीत:- दिल जो ना कह सका
  • फिल्म:- भीगी रात(१९६५)
  • गायक:- मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर
  • गीतकार:- साहिर लुधियानवी
  • संगीतकार:- रोशन 

दिल जो कह ना सका लिरिक्स वाली फिल्म भीगी रात जो 1965 में आई। फिल्म भीगी रात(१९६५) स्टारकास्ट यानी मुख्य भूमिकाओं में अशोक कुमार, प्रदीप कुमार, मीना कुमारी, कामिनी कौशल, शशिकला एवं राजेंद्रनाथ आदि कलाकार हैं। भीगी रात 1965 के निर्देशक हैं "कालिदास"।

दिल जो कह ना सका लिरिक्स इन हिंदी को लिखा है साहिर लुधियानवी साहब ने।

दिल जो कह ना सका ओल्ड सोंग लिरिक्स की धुन बनाई रोशन साहब ने अपने संगीत निर्देशन में। जी हां! राकेश रोशन और राजेश रोशन के पिता और ऋतिक रोशन के दादा जी हैं रोशन। 

गायक मोहम्मद रफी और लता मंगेशकर ने पूरे मनोयोग से गाया है, old classic song lyrics वही राज ए दिल कहने की रात आई दिल जो कह ना सका। 

1960 song lyrics in writing hindi|1960 के दशक के सोंग लिरिक्स लिखे हुए चाहिएं

मोहम्मद रफ़ी:-

दिल जो न कह सका

वही राज़-ए-दिल कहने की रात आई

दिल जो न कह सका


नगमा सा कोई जाग उठा बदन में

झनकार की सी थरथरी है तन में

मुबारक तुम्हें किसी की

लरजती सी बाहों में रहने की रात आई

दिल जो न कह सका...


तौबा ये किस ने अंजुमन सजा के

टुकड़े किये हैं गुंच-ए-वफ़ा के

उछालो गुलों के टुकड़े

के रंगीं फ़िज़ाओं में रहने की रात आई

दिल जो न कह सका...


चलिये मुबारक ये जश्न दोस्ती का

दामन तो थामा आपने किसी का

हमें तो खुशी यही है

तुम्हें भी किसी को अपना कहने की रात आई

दिल जो न कह सका...


सागर उठाओ दिल का किस को ग़म है

आज दिल की क़ीमत जाम से भी कम है

पियो चाहे खून-ए-दिल हो

के पीते पिलाते ही रहने की रात आई

दिल जो न कह सका...


लता मंगेशकर:-

दिल जो ना कह सका

वही राज-ए-दिल, कहने की रात आई


नग्मा सा कोई जाग उठा बदन में

झनकार की सी थरथरी है तन में

प्यार की इन्हीं धड़कती फ़िज़ाओं में

रहने की रात आई...


अब तक दबी थी एक मौज-ए-अरमां

लब तक जो आई, बन गई हैं तूफां

बात प्यार की बहकती निगाहों से

कहने की रात आई...


गुज़रे ना ये शब, खोल दूँ ये जुल्फें

तुम को छुपा लूँ, मूँद के ये पलकें

बेक़रार सी लरज़ती सी छाँव में

रहने की रात आई...  

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