Shiv bhajan Shankar Vivah Geet Lyrics in hindi english|शिवजी बिहाने चले पालकी सजाए के लिरिक्स शंकर विवाह
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Shiv bhajan lyrics में Shiv Vivah Geet ke lyrics शिवजी बिहाने चले पालकी सजाए के गीत पंडित सोमनाथ शर्मा जी द्वारा रचित बहुत ही सुंदर चित्रण है। यकीन मानिए अगर आपने शंकर विवाह का यह प्रसंग एक बार ध्यान से पढ़ लिया और आपको आनंद का अनुभव नही हुआ इस बात की हमारी गारंटी है। हमारे कहने से एक बार अवश्य पढ़े यह हमारी तरफ से आपके रोमांचक आनंद और अनुभव के लिए आपसे विनती है। Please🙏।
Shiv bhajan lyrics में पंडित सोमनाथ शर्मा द्वारा रचित शिव विवाह का चित्रण भले ही काल्पनिक हो परंतु सुनने और पढ़ने में बिलकुल ऐसे लगता है जैसे हमारी आंखों के सामने ही पूरा नजारा चल रहा हो।
Shankar Vivah- Shivji Bihane chale palki sajaye ke lyrics- pandit Somnath sharma
Shiv Bhajan Shankar Vivah Geet lyrics- शिवजी बहाने चले पालकी सजा के हो राम
Shiv bhajan lyrics के गीत Shankar Vivah शिवजी बिहाने चले पालकी सजाए के ढोलवा बजाय के हो राम के रचियता तो पंडित सोमनाथ शर्मा जी हैं ही, साथ ही साथ इस शिव विवाह गीत के गायक भी पंडित सोमनाथ शर्मा जी ही हैं।
संगीत निर्देशन किया है वेद सेठी ने और शिव भजन के इस एल्बम का नाम Shankar Vivah है।
Shiv bhajan Shankar Vivah Geet Lyrics in hindi Shivji bihane chale....
शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम
शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम।
हिमगिरि ने गौरा के ब्याह की लगन पत्रिका लिखवाई
नारद जी के हाँथ वो चिट्ठी ब्रह्मा जी तक पँहुचाई
ब्रह्मा जी ने लग्न पत्रिका सबको बाँच सुनाई थी
शंकर की बारात चलेंगे सबने ख़ुशी मनायी थी
देवता करे तैयारी अपनी अपनी असवारी
लेके कैलाश चले शंख बजाए के
खुशियाँ मनाए के हो राम
ए भैया शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम।
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम।
विष्णु और लक्ष्मी जी दोनों गरुड़ के ऊपर चढ़ आए
दाढ़ी वाले बूढ़े ब्रह्मा हँस सवारी ले आए
बड़ी शान से इंद्र आए ऐरावत लेके हाथी
भैंसे पर यमराज बिराजै और यमदूत सभी साथी
मस्ती में हरि गुण गाते नारद जी खुशी मनाते
शंकर के बने बराती वीणा बजाय के
तारों को सजाय के हो राम
ए भैया शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम।
शंकर के गण हुए इक्कट्ठे बाबा को प्रणाम किया
हार श्रृंगार बनाने वाला तब सारा सामान लिया,
राख मंगाकर शमशानों से उसकी लेप बनाई थी
जय बम भोले कहके उनके तन पे भभूत चढाई थी
बूढ़े में कुन्डल वाला बैठा था फणीयर काला
मस्ती में झूम रहा फनवा घुमाई के
जिह्वा हिलाई के हो राम
ए भैया शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम
मस्तक पे थे त्रैलोचन और दूध का चंद्र बिराज रहा
डम डम डमरुँ बाजे और त्रिशूल हाँथ में साज रहा
भोले बाबा को पहनाई नर मुण्डो की इक माला
बाघंबर की खाल ओढाई और कंधे पर मृग छाला
गंगा की धारा बहती कलकल कल करके कहती,
बुरी नज़र से इन्हें रखना बचाई के
मुखड़ा छुपाई के हो राम
ए भैया शिव जी बिहाने चले
पालकी सजाय के भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के,
घुड़वा दौड़ाय के हो राम।
नंदी गण से कह बाबा ने अपने सब गण बुलवाए
शंकर की बारात चढ़ेंगे ख़ुशी मनाके सब आए
यक्षों और पिशाचों के संग भूत प्रेतों के टोले
नाँचें कूदे शोर मचावे जय भोले बम बम भोले
कोई पतला कोई मोटा कोई लंबा कोई छोटा
काले और नीले पीले टोलियां बनाय के
सजके सजाय के हो राम
ए भैया शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम
शंकर के गण हुए इक्कट्ठे बाबा को प्रणाम किया
हार श्रृंगार बनाने वाला तब सारा सामान लिया
राख मंगाकर शमशानों से उसकी लेप बनाई थी
जय बम भोले कहके उनके तन पे भभूत चढाई थी
बूढ़े में कुन्डल वाला बैठा था फनियर काला
मस्ती में झूम रहा फनवा घुमाई के,
जिह्वा हिलाई के हो राम,
ए भैया शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम।
मस्तक पे थे त्रिलोचन और दूध का चंद्र बिराज रहा
डम डम डमरुँ बाजै और त्रिशूल हाँथ में साज रहा
भोले बाबा को पहनाई नर मुण्डो की इक माला
बाघंबर की खाल ओढाई और कंधे पर मृग छाला
गंगा की धारा बहती कलकल कल करके कहती
बुरी नज़र से इन्हें रखना बचाई के
मुखड़ा छुपाई के हो राम
ए भैया शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम
नंदी गण से कह बाबा ने अपने सब गण बुलवाए
शंकर की बारात चढ़ेंगे ख़ुशी मनाके सब आए
यक्षों और पिशाचों के संग भूत प्रेतों के टोले
नाँचे कूदे शोर मचावै जय भोले बम बम भोले
कोई पतला कोई मोटा कोई लंबा कोई छोटा
काले और नीले पीले टोलिया बनाय के
सजके सजाय के हो राम ए भैया शिव जी बिहाने चले
पालकी सजाय के भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले
ढोलवा बजाई के घुड़वा दौड़ाय के हो राम।
किसी की आँखे तीन तीन और किसी के माथे एक लगी
एक टाँग पे चले कोई और किसी के टांग अनेक लगी
मुँह किसी का लगा पेट में और किसी का छाती में
कोई ऊँचा आसमान सा कोई रेंगता धरती में
लंबा चौड़ा मुँह खोले बोली भयंकर बोले
धरती गगन भर डाला बभूति उड़ाय के
धूम मचाई के हो राम ए भैया शिव जी बिहाने चले
पालकी सजाय के भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम
गरुड़ के ऊपर विष्णु निकले ब्रह्मा हंस के साथ चले
ऐरावत पर इंदर बैठे भैंसे पर यमराज चले
बाकी देवता भी ले चल रहे अपनी अपनी असवारी
भोले शंकर ने देखा हो गई बारात की तैयारी
नंदी पर आप विराजे डमरुँ त्रिशूल को साजै
खुशियों में नंदी नाचै सिंगवा हिलाय के
पूँछवा घुमाय के हो राम ए भैया शिव जी बिहाने चले
पालकी सजाय के भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम
आगे आगे शंकर बाबा पीछे भूत प्रेत चले
ब्रह्मा विष्णु धर्मराज और इंद्र गरुड़ समेत चले
ढ़ोल नगाड़े शंख बजे और बाज रही थी शहनाई
चलते चलते शंकर की बारात नगर के पास आई
सुंदर स्थान निहारा शिवजी ने किया ईशारा
देवता नाचन लागै झंडे उठाय के बाजै बजाय के हो राम
ए भैया शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम
हिमगिर ने जब शोर सुना पंचायत अपनी बुलवाई
मिलजुल कर सब करे स्वागत गोरा की बारात आई
चले उधर पंचायत वाले स्वागत गीत सुनाते थे
उनसे भी आगे कुछ बच्चे भागे दौड़े जाते थे
दूल्हे के देखे नैनां भूतों प्रेतों की सेना
बालक तो घर को भागे होश भुलाय के
साँस फुलाय के हो राम
ए भैया शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम
मात पिता सों बालक बोलै ये कैसी बारात आई
लगता है के नरक छोड़ यमदूतों की जमात आई
जो इस ब्याह को देखेगा वो बड़ा भाग्यशाली होगा
पर हम कहते है की सारा नगर आज खाली होगा
माता पिता समझावे बच्चों को पास बुलावे
डर को छोड़ो तुम खेलों खुशियाँ मनाय के
राघवेंद्र गाय के हो राम
ए भैया शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम।
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम
हिमगिरि ने सबके स्वागत में अपने नैन बिछाये थे
कर विनती सम्मान सभी को जनवासे में लाए थे
इंद्रपुरी से जनवासा था जहाँ उन्हें ठहराया था
दास दासियों ने आकर सबको जल पान कराया था
ब्रह्मा और इंद्र आए देखके सब हरषाए
विष्णु को माथा टेके शीश झुकाय के
हरि गुण गाइके हो राम ए भैया शिव जी बिहाने चले
पालकी सजाय के भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम
इतने में गौरा की सखियाँ सोने की थाली लाई
महादेव शंकर दूल्हे की आरती करने को आई
उन सबने नारद से पूछा दूल्हा कौन है बतलाओं
बैठा है जिस जगह वहीँ पे हम सबको भी पहुँचाओ
नारद की निकले हासी बोले तब खाँस के खासी
संग गणों को भेजा रास्ता दिखाय के
जरा मुस्काय के हो राम
ए भैया शिव जी बिहाने चले पालकी सजाय के
भभूति रमाय के हो राम
संग संग बाराती चले ढोलवा बजाई के
घुड़वा दौड़ाय के हो राम
सखियों ने देखा बारात ये
नही प्रेतों की टोली,
भांत भांत के रूप बनावे,
तरह तरह बोले बोली,
कोई तो पीवे सूखा गाँजा,
कई घोटते भाँग रहे,
छीना झपटी करते हैं,
कई इक दूजे से माँग रहे,
मस्ती में झूम रहे हैं,
नशे में घूम रहे हैं,
भाँग को लागे रगड़ा,
सोटवा घुमाय के,
घोटवा लगाय के, हो राम,
ए भैया शिव जी बिहाने चले,
पालकी सजाय के,
भभूति रमाय के, हो राम।
संग संग बाराती चले,
ढोलवा बजाई के,
घुड़वा दौड़ाय के, हो राम।
सखियों ने दूल्हे को देखा,
लंबी दाढ़ी वाला है,
हाँथ में जिसके खप्पर डमरुँ,
गले साँप की माला है,
जटाजूट बाँधे और तन पे,
जिसने राख चढ़ाई है,
बाघंबर की खाल ओढ़ने,
ते मृग छाल बिछाई है,
सखियाँ जब करे इशारे,
नंदी जी खड़े निहारे,
सखियों के पीछे पड़ गए,
पूछनी घुमाय के,
सिंगवा हिलाय के हो राम,
ए भैया शिव जी बिहाने चले,
पालकी सजाय के,
भभूति रमाय के, हो राम।
संग संग बाराती चले,
ढोलवा बजाई के,
घुड़वा दौड़ाय के, हो राम।
जनवासे से बाहर निकली,
सब सखिया घबराई थी,
गोरा तेरी क़िस्मत फूटी,
उसे बताने आई थी,
पार्वती से आकर बोली,
तेरा दूल्हा देख लिया,
तेरे पिता ने बस यूँ समझो,
तुझे नर्क में भेज दिया,
है वो शमशान का वासी,
है कोई जोगी सन्यासी,
मस्ती में डूबा रहे,
भाँग चढ़ाय के,
धतूरा चबाय के हो राम,
ए भैया शिव जी बिहाने चले,
पालकी सजाय के,
भभूति रमाय के, हो राम।
संग संग बाराती चले,
ढोलवा बजाई के,
घुड़वा दौड़ाय के, हो राम।
पार्वती ने उत्तर ऐसे,
दिया सभी की बोली का,
मेरा और शंकर का रिश्ता,
है दामन और चोली का,
जन्म जन्म की लगन यही है
माँ अपनी से कह दूँगी,
ब्याह होगा तो शंकर से,
अन्यथा कुँवारी रह लुंगी,
गौरा की सुनकर वाणी,
खुश हो गई सखी सयानी,
चलने लगी दोनों की,
जय जय बुलाय के,
गीत गुनगुनाय के, हो राम,
ए भैया शिव जी बिहाने चले,
पालकी सजाय के,
भभूति रमाय के, हो राम।
संग संग बाराती चले,
ढोलवा बजाई के,
घुड़वा दौड़ाय के, हो राम।
उधर गणों ने मिलकर के,
शिव बाबा को तैयार किया,
इधर गौरी की सखियो ने था,
गौरा का श्रृंगार किया,
महलों के प्रांगण में वेदी,
सुंदर एक बनाई थी,
मंडप जब तैयार हुआ तो,
फिर बारात बुलवाई थी,
देवता बाजे बजावे,
शंकर डमरुँ खड़कावे,
भूतों की सेना चली,
नाँच दिखाय के,
धूम मचाय के हो राम,
ए भैया शिव जी बिहाने चले,
पालकी सजाय के,
भभूति रमाय के, हो राम।
संग संग बाराती चले,
ढोलवा बजाई के,
घुड़वा दौड़ाय के, हो राम।
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गलियों और बारातों में थी,
सचमुच भीड़ लगी भारी,
अपने अपने घर के आगे,
खड़ी हो हो देखें नारी,
ब्रह्मा विष्णु इंद्र आदि को,
देख सभी हरषाई थी,
पर शंकर को देख नारिया,
घर की भीतर भागी थी,
धक धक दिल धड़कन लागै,
अंग सब फड़कन लागै,
नन्हे नन्हे बच्चों को,
गोद मे उठाय के, हो राम,
गले से लगाइके हो राम,
ए भैया शिव जी बिहाने चले,
पालकी सजाय के,
भभूति रमाय के, हो राम।
संग संग बाराती चले,
ढोलवा बजाई के,
घुड़वा दौड़ाय के, हो राम।
गौरा की माँ ने हिमगिर को,
अपने पास बुलाया था,
साखियों ने जो हाल कहा था,
सब उनको समझाया था,
बोली मैं अपनी बेटी को,
तबाह नहीं होने दूँगी,
कुए में गिरके मर जाऊंगी,
ब्याह नही होने दूँगी,
इतने में हरि गुण गाते,
नारद जी वीण बजाते,
पिछले जनम की कथा,
बोले समझाय के,
सबको सुनाई के हो राम,
ए भैया शिव जी बिहाने चले,
पालकी सजाय के,
भभूति रमाय के, हो राम।
संग संग बाराती चले,
ढोलवा बजाई के,
घुड़वा दौड़ाय के, हो राम।
मण्डप में जब पहुँचे शंकर,
आसन देके बिठलाया,
पहले उनकी पूजा करी फिर,
पार्वती को बुलवाया,
बड़े प्रेम से हिमगिरि ने,
गिरजा का कन्यादान किया,
शंकर सहित बाराती जितने,
सबका ही सम्मान किया,
शंकर और पार्वती की,
सुंदर सी जोड़ी देखी,
देवता खुश हुए,
फूल बरसाय के,
जय जय बुलाय के हो राम,
ए भैया शिव जी बिहाने चले,
पालकी सजाय के,
भभूति रमाय के, हो राम।
संग संग बाराती चले,
ढोलवा बजाई के,
घुड़वा दौड़ाय के, हो राम।
गले लगाकर बेटी को,
हिमगिर मैना ने विदा किया,
पार्वती को शंकर ने,
नंदी की पीठ पर बिठा लिया,
सोमनाथ की इस गाथा को,
सुने वा इसका गान करे,
संकट सारे मिट जाएं,
शिव जी उनका कल्याण करे,
लेकर के पार्वती को,
शंकर कैलाशपति को,
नंदी मस्ती में भागे,
सिंगवा हिलाय के,
पूँछवा घुमाय के, हो राम,
ए भैया शिव जी बिहाने चले,
पालकी सजाय के,
भभूति रमाय के, हो राम।
संग संग बाराती चले,
ढोलवा बजाई के,
घुड़वा दौड़ाय के, हो राम।
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